संघर्ष जिंदगी का
दो पल की धूप जरा सह लूँ
फिर आगे तो घनी छाओं है।
जीवन कभी काँटों सेज़ तो
कभी फूलो का हार है।
ना डरु आज इस अँधेरे से तो
कल का तेज़ मेरे हाथ है।
इन टेढ़े-मेढ़े रहो पर चल लूँ जरा संभल कर
फिर मंज़िल तो मेरे पास है।
आँखों के आँसू मैं जरा सा छुपा लूँ तो
मुस्कुराहट के दीपों के लौ मेरे साथ है।
दुःख का सूरज ढल जाने दूँ जरा सा
सुख का सवेरा तो आस-पास है।
आस्था जायसवाल
dhanyawad
ReplyDeleteTrue lines
ReplyDeleteAwesome Mam.
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