उफ्फ!ये प्यार
कैसी आई ये बहार,
उन्हें देख दिल में उठे
जाने कितने तूफान।
हँस दे वो तो खूबसूरत
लगे पूरा संसार।
लो भाई!तो हो गया
ये प्यार।
अब खिदमतो में गुजरे,
ये दिन और ये रात
उनकी ख़ुशी के लिए
कितने भी रहे हम परेशान,
पर उफ़! न करे हम यार
क्यूंकि चढ़ा है प्यार का बुखार।
नखरे उठाते-उठाते मन हो
रहा है बदहवास।
पर उनकी माँगो को कैसे
करे हम दरकिनार।
मुह फुलाले वो तो समझो
और हो गया कल्याण।
हे भगवान! कैसा है ये प्यार।
सब्र की सीमा हो गयी
है अब पार
मन कहे बहुत हो गया
ये अत्याचार।
दिल को नही है अब
उनसे ये प्यार।
दो दिन गुजरे ऐसे
जैसे मै ही देवदास।
फिर से आई नयी बहार,
मन हैरान!क्या फिर से हो
गया मुझे ये प्यार।
आस्था जायसवाल
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