EXAMS की छुट्टी
सोचो ये EXAMS न होते ,
पढाई का कोई डर न होता,
जीवन में कोई बच्चा न रोता।
न तुम हमसे आगे होते ,
न हम पीछे बेंच पे सोते।
पापा की रिश्वत अब काम न आती।
वो सपने भी क्या हसीन होते ,
जब उनमे रिजल्ट के भूत न होते।
जब नम्बरो का कोई मोल न होता।
अब आँखे सुजा के पढ़ना न पड़ता,
मंदिरो के चक्कर लगाने से मन डरता।
वो दुनिया ही कैसी निराली सी होती ,
जहाँ EXAM देने की किसी को
बीमारी न होती।
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