इन महफ़िलों में अपनी तन्हाई छुपा लेता हूँ।
जब भी तु याद आये ,
तुझे भूलने के लिए अपने होश गवां लेता हूँ।
मेरी मुहब्बत को तूने रुसवा किया ,
इस दर्द में आँसू बहा लेता हूँ।
तू बेवफा है तो क्या ,
तेरे लिए फिर भी दुआ मांग लेता हूँ।
मै ही प्यार था कभी तेरा ,
ये सोचकर ही ख़ुशी मना लेता हूँ।
तू अब भी ज़िन्दगी है मेरी ,
पर तेरे बिना खुद को रोज जीना सीखा लेता हूँ।
इन महफिलों में अपनी तन्हाई छुपा लेता हूँ। ।
आस्था जायसवाल
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