बीते लम्हों में आज फिर तु याद आया ,
जाने उन खोये यादों में क्यों इतनी बार आया।
हम तो अलग जगह के मुसाफिर थे ,
फिर क्युँ तु इतनी दूर मेरे साथ आया।
जितना दूर रहना चाहा था मैंने तुझसे ,
जाने क्युँ तु उतना ही मेरे पास आया
मैंने तो न सोचा था तेरे बारे में ,
फिर क्युँ तेरा ही अक्स जहन में हर बार आया।
तेरे जाने का गम तो न था मुझे ,
फिर क्युँ आसु बनकर मेरी आँखों में इतनी बार आया।
तेरी ख़ुशी से मेरा कोई वास्ता न था ,
फिर क्युँ तेरी हँसी से ही मुझे करार आया।
मेरा कोई रिश्ता तो न था तुझसे ,
पर क्युँ तुझे अपना मानने का ख्याल बेशुमार आया।
बीते लम्हों में आज फिर तु याद आया ,
जाने उन खोये यादों में क्यों इतनी बार आया।
आस्था जायसवाल
bahut khoob...
ReplyDeletekavi-ravindra.blogspot.com
Very deeply thought
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