आज की रात बड़ी लम्बी सी है
आज की रात बड़ी लम्बी सी है।
खिड़की की ओट से झाँकता
वो चाँद कुछ बुझा सा है
टिमटिमाते हुए तारे भी
कुछ धुंधले से है।
ऐसा लग रहा मानो मेरी
तन्हाई की खबर सबको है।
आज की रात बड़ी लम्बी सी है।
आँखों की नमी में जाने
नींद भी क्यूँ गुम सी है।
आज ये दिल इतना तड़पने को
यूँ बेचैन सा है
रूठ जाने की ज़िद पर खड़ी
ये साँसे भी है।
तोड़ दू ये ज़माने के बन्धनों को
सोच मेरी यहाँ कुछ अटकी सी है।
आज की रात बड़ी लम्बी सी है।।
आस्था जायसवाल
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