मेरी पहचान
मत रोको मेरे कदमो को
मेरे हौसलों की उड़ान अभी बाकी है।
है हस्ती मेरी भी कुछ
की मेरी पहचान अभी बाकी है।
उम्र की ये बन्दिशें न डालो
जीने में रुझान अभी बाकी है।
पाने को है अभी बहुत कुछ
कुछ कर गुजरने का अरमान अभी बाकी है।
डूबा नहीं हूँ लालच में
की मुझमे ईमान अभी बाकी है।
तूने जो इतना सीखाया है ऐ ! जिन्दगी
की तेरा एहसान अभी बाकी है।
तोड़ दू इन नफरत की दीवारो को
की होंठो पे लाना मुस्कान अभी बाकी है।
कुछ नाम मेरा भी हो जग में
की जिंदगी तेरा सलाम अभी बाकी है।
मत रोको मेरे कदमो को
मेरे हौसलों की उड़ान अभी बाकी है।
आस्था जायसवाल
bahut khoob...!
ReplyDeletethanku
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ReplyDeletereally nice poem....
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