हाय ! ये मेरा दिल
कोई तो समझा दो मेरे दिल को,
जुदाई में ये क्यों इतना सिसकता है।
अपने जब बेगाने हो जाते है,
तो ये बेगानो को अपना क्यों समझता है।
मर जाती है जब एहसास भी इस मोहब्बत की,
फिर भी ये क्यूँ उसे पाने को मचलता है।
इस दिल की तो बस इतनी ही खता है,
प्यार के लिए ही ये धड़कता और
प्यार में ही ये तड़पता है।
आस्था जायसवाल
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