Monday, 22 February 2021

              ख़ाकी    


मेरे ख़्वाहिशों की जमीं

मेरे होसलों की जान 

मेरी उमीदों का जहाँ

मेरे सपनो का असमां

तुम सिर्फ़ ख़ाकी नहीं 

मेरी सोच की बुनियाद 

मेरा अभिमान हो।  

                          आस्था जायसवाल

Sunday, 2 August 2020

             दोस्ती

 याद है मुझे आज भी वो तेरा मुझसे मिलना,

साथ में खेलना और फिर यूं ही लड़ना।


याद है मुझे मेरा रूठना और तेरा मनाना,

टीचर की डांट से मुझे बचाना और फिर खुद ही डांट  खाना।


 याद है मुझे दोस्ती की वह अपनी कसमें,

 वो तेरा जय और  मेरा वीरू बन जाना।

 

वो गुजरे जमाने की हर बात मुझे याद है,।   

 वो दोस्त पुराने, वो दोस्त हमारे आज भी मुझे याद है 

  

                       आस्था जयसवाल

                       (पुलिस उपाधीक्षक)

                       

 

 






Saturday, 18 April 2020





                                          एक ख्याल .... यूँही 

 



 मैंने अक्सर देखा  है लोगो को किसी मुद्दे पर अपनी बात  रखते  हुए, उसके बारे में लिखते हुए पर उसके लिए जीते हुए बहुत ही काम लोगो को देखा है। क्या दो लफ्ज़ लिख लेने से या कह देने से मुद्दे हल हो जाते हैं ? अरसा लग जाता है एक सोच बनाने में,उससे कहीं ज्यादा हिम्मत की जरुरत पड़ती है अपनी बात को रखने में पर एक तपस्वी बनना पड़ता है उसे पाने के लिए। मुझे आज भी याद है वो दिन जब कछा 9 में मैंने एक निबंध लिखा था महिला सशक्तिकरण (women empowerment)पर। आजकल तो हर एग्जाम का यह पसंदीदा विषय है। खैर !लिखा तो मैंने भी बहुत कुछ था,मुझे लगता था की अगर महिलायें कमाने लगे तो वे सशक्त हो जाएँगी। मगर ,आज मैं जब खुद के अंदर झाँक के देखती हूँ तो एक कमी सी महसूस होती है। कहने को तो मैं इंडिपेंडेंट हूँ ,एक जिम्मेदार पद पर नौकरी कर रही हूँ पर अंदर से मुझे लगता है मैं आज भी सशक्त नहीं हूँ। समाज में मैं अपने को उस इंसान के रूप में देखती हूँ  जिसके अंदर आज भी झिझक है ,एक अनजाना सा डर है। मुझे मालूम है की लोग मेरे काम के आधार पर मेरा आंकलन करेंगे ,मुझे मेरे काम से जानेंगे। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की दुनिया मुझे कैसे देखेगी पर इस बात से फर्क पड़ता है की मेरी पहचान का रुख क्या होगा। जिस दिन मैं बेफिक्र और निडर हो कर अपनी जिंदगी के फैसले लेने लगूंगी ,उस दिन से मैं सशक्त हूँ।यह मेरा संघर्ष है .....  अपने आप से सशक्त होने के लिए। गाँधी जी ने एक बात कही है "आप खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं (be the change you want to see in the world).मैं चाहती हूँ की हर लड़की सशक्त बने पर सिर्फ दुनिया की नज़रो में नहीं बल्कि अपनी नज़रो में भी।


                               खुद से नज़रे  चुराया न करो 
                        दिखावे का ये मुखौटा लगाया न करो 

                         नक़ाबों के अंदर भी खूबसूरत चेहरे हैं 
                                उन्हें ऐसे छुपाया न करो
  



                                                                    आस्था जायसवाल                                                                                                                                       (पुलिस उपाधीक्षक )


Tuesday, 26 February 2019



ख्वाहिशों  का  कोई  आसमां   नहीं   होता ,
आशाओं   से   भरी   इस  दुनिया   में ,
हसरतों   की  कोई  गहराई   नहीं   होती |


कभी -कभी   नाम   कर   जाते  है   लोग  ,
अपने  जुनून   के   दम  पर  ,क्यूँकि
हाथों  की  लकीरों   में   ही  सब   लिखा 
नहीं   होता |


कुछ   सफलताएं  ऐसी  होती  हैं  जो  खुद  से  ज्यादा  दूसरो  को  ख़ुशी  देती  हैं  और  साथ  ही  साथ  जमीन  से  जोड़कर  भी  रखती  हैं | लाख  कमियां  हो  आपके  अंदर  मगर  इच्छाशक्ति  से  सबकुछ  किया  जा  सकता है ,क्यूंकि  सही  ही  कहा  गया  है "मन  के  हारे  हार  है ,मन  के  जीते  जीत "| हर  बच्चे  को  पढ़ने  का  अवसर  मिलना  चाहिए , खासकर  बेटियों  को  क्यूंकि  वे  अभिमान  होती  हैं  | हर  उस  चीज़  से  प्रेरित  होइये  जो  आपके  जीवन  को  सफल  बनाये |

हरिवंश राय  बच्चन  की  चंद  पंकितयाँ  लिखना  चाहूंगी-------------------

"
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती"

                                                               आस्था  जायसवाल 


Tuesday, 24 July 2018




मेरा  एहसास 


ख्वाहिश  नहीं  मुझे  सितारों  की ,
मेरा  चाँद  तोह  ज़मीन  पर  ठहरा  है। 


खयालो  में  डूबा  ये  मन  मेरा ,
तेरी  यादों  का  बस  इनपे  पहरा  है। 


ख्वाहिश  नहीं  मुझे  दुनिया  पे  छा  जाने  की ,
तेरी  बाहों  में   सिमटा  ये  जग  मेरा  है। 


एहसास  में   जियूँ  तेरे  मैं  हर  पल,
कि  ये   लम्हा  बस   मेरा  है। ....... 


                                                        आस्था  जायसवाल