जिंदगी की दौड़ में भागते चलो
कभी रुकना नही ,कभी थकना नहीं।
पीछे रहना अगर फितरत है तुम्हारी
तो बदलनी होगी अपनी ये कहानी।
दुनिया तो चाहेगी बस सफलता तुम्हारी
अपनों ने भी बस यही देखने की है ठानी।
बनना है बड़ा , होना है सफल
चाहे मन को करना पड़े बन्दिशों में।
भेंट चढ़ानी पड़े उन सपनो को
जो कभी देखा था बचपन में।
एक दुनिया सी बसती थी जिन सपनो में
हर हद तक जाने की जिद्द थी जिनके लिए।
पर वो थी बीते ज़माने की अधुरी निशानी
उन सपनो की राख पर खड़ी ये कामयाबी हमारी।
होठों की मुस्कराहट में छिपी सिसकियों की जुबानी । ।
आस्था जायसवाल
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